About Me

दरिया व पहाड़ो की मस्ती मुझे विरासत में मिली है। गंगा किनारे बसे शहर बनारस के पास मिर्ज़ापुर ज़िले के एक गावं बरेवां से पुरखों ने इस सफ़र की शुरूआत की। जो बहते बहते पहुंच गए सोन नदी के किनारे बसे राबर्ट्सगंज में । फिर वो वहीं के होकर रह गए। लेकिन मैंने रूकना कभी सीखा नहीं। बहते रहना- मेरी फितरत है, फक़ीरों की तरह। गंगा सागर में मिलने से बेहतर युमना किनारे बसे शहर दिल्ली में धुनी रमाना बेहतर समझा। जीने के लिए कलम का सहारा लिया। ज़माने को बदलना है- इस जज़्बे के साथ जूते घिस घिस कर अख़बारों और पत्र पत्रिकाओं में कलम घिसने की ठानी । ज़माना बदला हो या नहीं- ये पता नहीं। लेकिन इन दो साल में मैं ज़रूर बदल गया हूँ । बदलाव की शुरूआत हुई - अख़बारों की दुनिया में कदम रखने से । इस पत्रकारिता की दुनिया ने बार बार हाथ झटक दिया। लेकिन अब मैं थोड़ा डीठ हो चुका हूं। ख़ाल मोटी होने लगी है । पत्रकारिता और मेरे बीच मियां - बीवी जैसा रिश्ता क़ायम होने लगा है । कोशिश कर रहा हूं नाग नागिन के इस दौर में सार्थक पत्रकारिता करने की। कौन कहता है कि आसमान में सुराख़ नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। बस हव्शाला बुलंद होने की देरी है

Wednesday, January 6, 2010

शादी पूरी फिल्मी है

शादी जिसकी चाह हर किसी को होती है। अगर यह समय पर हो तो इसका एक अलग ही मजा होता है । जैसे ही किसी युवा के विवाह की बात होती है तो वो अंदर ही अंदर कई सपने सजो लेता है और ख्वाबों की दुनिया में हिलोरे मारने लगता है। ये सब उसके अंतरमन में होता है । जिसको वो प्रदशिZत नहीं होने देता है। जिसके पश्‍चात वो उपरी तौर पर विवाह करने से मना करने लगता है। वह दिखाना चाहता है कि उसके लिए शादी कोई मायने नहीं रखती है। अगर कोइZ युवा शिक्षा ग्रहण कर रहा है तो विवाह से उस में होने वाली बाधाओं की दुहाई देने लगता है और वो नौकरी कर रहा है तो अच्छी आय प्राप्त करने की दुहाई दे कर शादी करने से मना करने लगता है। घर वालों के काफी प्रयास के बाद वो मान जाता है वह जिस भी परिस्थिति में होता है विवाह करने के लिए तैयार हो जाता है । लेकिन युवाओं की बात यही पर खत्म नहीं होती शुरू में विवाह का विरोध करने वाले ज्यादेतर युवा विवाह के बाद अपने घर वालों को भूल कर पत्नी व उसके घर वालों की वाली करने लगते हैं। ऐसा उन लोगों के साथ होता है जिनके लिए शादियों की कमी नहीं होती। क्या आप ने सोचा है जिनकी शादियां नहीं होती है उनको शादी के लिए क्या -क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं। ज्‍यादे ना सोचिए इसका एक उदाहरण मैं आप को बताता हूं जिसके चपेट में आया ग्रेटर नोएडा का तुस्या गांव । जहां शादी को खेल का रूप देकर पूरी तरह से फिल्‍मी बना दिया गया और दोनो पक्ष को जबरदस्‍त बेवकूफ बनना पडा । हुआ यू एक पक्ष (बसंत राम) काल्पनिक नाम निवासी तुस्यान के लड़के की शादी नहीं हो रही थी और दूसरे पक्ष (रामधनी) काल्पनिक नाम निवासी ग्राम पूठी जिला मेरठ के भतीजे की भी वही दशा थी जो की पहले पक्ष की। दूसरे पक्ष ने अपने लड़के की शादी के लिए एक खेल रचाया। उसने पहले पक्ष यानी बसंत राम के लड़के की शादी अपनी लड़की से करने का प्रस्ताव इस शर्त पर रखा कि शादी होने के तीन दिन बाद बसंत राम अपनी लड़की की शादी राम धनी के भतीजे के साथ करेगा। दोनों पक्षों के लड़कों की शादी में दिक्तें आ रही थी लिहाजा दोनों ने शतZ मान लिया । शतZ के मुताबिक तुस्यान गांव के बसंत राम ने अपने लड़के की बारात ले कर रामधनी के घर पिछले माह में पहुंचे। वहां तो रामधनी ने विवाह के लिए एक अलग ही योजना बना रखी थी उसने अपनी लड़की की जगह एक कालगर्ल को कुछ पैसे दे कर बसंत राम के लड़के से शादी करने के लिए तैयार कर रखा था। हलांकी रामधनी के इस कृत का बसंत राम को भनक तक नहीं लग पाया और पूरे रीती रिवाज से उस कांल गर्ल के साथ बसंत के लड़के का विवाह संपन्न हो गया। बसंत ने बड़े ही उत्साह पूवZक के साथ अपनी बहु को अपने घर ले गऐ। बहु तो बहुत ही एडवांस थी उसके पास दो मोबाइZल फोन थे, अंग्रेजी वगैरह भी बोलती थी उसके कारनामों से बंसंत राम गर्वन्ति थें उनका लड़का भी ऐसी पत्नी पा कर बहुत खुश था। शर्त के मुताबिक वो तीसरा दिन भी आ गया जब राम धनी को अपने भतीजे की बारात ले कर बसंत राम के लड़की से विवाह करने के लिए आना था। बसंत राम ने भी अपनी लड़की के विवाह की तैयारी पूरी कर ली थी हुलुवाई वगैरह ने भी भोजन पूरे बारातियों के लिए तैयार भी कर लिया था। उसी दिन किसी काम के चलते बसंत राम की पत्नी अपने बहु के कमरे में गई तो उसने उसको किसी से फोन पर बातें करते सुना कि उसके शादी का कांट्रेक्ट पूरा होने वाला है जिसके उपरांत वो वापस आ कर अपने धंधे पर लग जाएगी। फिर क्या था पूरे घर व रिश्तेदारों में कोहराम मच गया की दुलहन चार दिन के कांट्रेक्ट पर आई है। बसंत राम व रिश्तेदारों द्वारा कड़ाई से पूछने पर उस कालगर्ल ने सारी सच्चाई बता दी कि उसे तीस हजार रुपयों में शादी में दुलहन की भूमिका निभाने का कांट्रेक्ट दिया गया था। जिसके तहत उसके दुलहन बनने का रोल कल समाप्त हो रहा है और वो कल चली जाएगी। बसंत राम ने भी जैसे को तैसे वाला फंडा अपनाया उन्होंने उसी कालगलZ को नया कांट्रेक्ट दिया कि फिर दुलहन बन कर उसको वही जाना है जहां से वो आई है और वो तैयार हो गई। शाम को रामधनी अपने भतीजे की बारात ले कर बसंत राम के घर आए बसंत राम ने भी उनका स्वागत सत्कार किया और घुघट की आड़ में उसी कालगलZ के साथ रामधनी के भतीजे का विवाह करा दिया। राम धनी बहुत खुश थे कि चलो भतीजे का विवाह गणित से हो गया। खुशी-खुशी भतीजे की दुलहन को ले कर रामधनी अपने घर पहुंचे और रीति रिवाज के तहत जब दुलहन का घुघट उठाया गया तो सबके होश उड़ गऐ ।घुंघट के पीछे वही कालगर्ल थी जिसे रामधनी ने अपनी बेटी बना बिदा किया था । वहां पर जैसे को तैसा वाली कहावत जबदZस्त चरित्रार्थZ हुई हलांकि किसी पक्ष द्वारा पुलिस में धोख धड़ी का रिपोर्ट नहीं लिखवाया गया था ।

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