About Me

दरिया व पहाड़ो की मस्ती मुझे विरासत में मिली है। गंगा किनारे बसे शहर बनारस के पास मिर्ज़ापुर ज़िले के एक गावं बरेवां से पुरखों ने इस सफ़र की शुरूआत की। जो बहते बहते पहुंच गए सोन नदी के किनारे बसे राबर्ट्सगंज में । फिर वो वहीं के होकर रह गए। लेकिन मैंने रूकना कभी सीखा नहीं। बहते रहना- मेरी फितरत है, फक़ीरों की तरह। गंगा सागर में मिलने से बेहतर युमना किनारे बसे शहर दिल्ली में धुनी रमाना बेहतर समझा। जीने के लिए कलम का सहारा लिया। ज़माने को बदलना है- इस जज़्बे के साथ जूते घिस घिस कर अख़बारों और पत्र पत्रिकाओं में कलम घिसने की ठानी । ज़माना बदला हो या नहीं- ये पता नहीं। लेकिन इन दो साल में मैं ज़रूर बदल गया हूँ । बदलाव की शुरूआत हुई - अख़बारों की दुनिया में कदम रखने से । इस पत्रकारिता की दुनिया ने बार बार हाथ झटक दिया। लेकिन अब मैं थोड़ा डीठ हो चुका हूं। ख़ाल मोटी होने लगी है । पत्रकारिता और मेरे बीच मियां - बीवी जैसा रिश्ता क़ायम होने लगा है । कोशिश कर रहा हूं नाग नागिन के इस दौर में सार्थक पत्रकारिता करने की। कौन कहता है कि आसमान में सुराख़ नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। बस हव्शाला बुलंद होने की देरी है

Wednesday, April 21, 2010

मूर्ख बने रहने का आनंद ही कुछ और है

मुझे क्या पता” का मंत्र जपो, जीवन में सफल रहो : न संतान का... न सम्पत्ति का... न यश का... न श्रेय का... दुनिया में सबसे बड़ा कोई सुख अगर है तो बस मूर्ख बने रहने का सुख है। आप माने न मानें मूर्ख दिखने और बने रहने में (मूर्ख होने में नहीं) जो अदभुत सुख है वो दुनिया के किसी भी विलास-ऐश्वर्य मे नहीं है। मूर्ख दिखने के फायदे तो आपको कई लोग बताएंगे पर आपको बताते हैं कि कैसे बना जाता है मूर्ख और किस तरह से दुनिया भर में तमाम अक्लमंद लोग मूर्ख बन कर मज़े से ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं.....

महंगाई चरम पर है, सरकार मू्र्ख बनी बैठी है.... कहती है हमें नहीं पता महंगाई कैसे आई, यह भी नहीं पता कैसे जाएगा.... हम तो मूर्ख हैं.... अब समझेगी तो दुख होगा, सो बने रहो मूर्ख.... सीधे सादे आदिवासी कैसे बन गए माओवादी? ...हमें नहीं पता कैसे बन गए... जा कर उन्हीं से पूछिए... हमें समझ कर क्या करना... समझेंगे तो अपने ज़ुल्मों का... उपेक्षा का... अत्याचारों का हिसाब भी देना पड़ेगा.... सो बने रहो मूर्ख....

महिला आरक्षण बिल राज्यसभा से गिरा तो लोकसभा में अटक गया... नेता जी से पूछा कि क्यों हुआ भई ऐसा... नेताजी बोले... हमें तो पता ही नहीं... लो भई मस्त रहो... बने रहो मूर्ख....

दो दिन पहले तक आयशा सिद्दीकी, शोएब मलिक की आपा थीं... अब उनको तलाक दे दिया.... दो दिन में आपा... बेगम बन गई... शोएब बोले हमें नहीं पता... जवाब ढूंढ लेंगे पहले सानिया से निकाह हो जाए... सो बने रहो मूर्ख....

टीवी चैनल दो दिन पहले चिल्ला रहे ते ये शादी नहीं हो सकती... अब कह रहे हैं सानिया तेरी अंखिया सुरमेदानी.... पब्लिक बोली ऐसा क्यों... रिपोर्टर बोले पता नहीं... बढ़िया है बने रहो मूर्ख....

न्यूज़रूम में आउटपुट हेड चिल्ला रहा है... इतनी ज़रूरी बाइट कैसे मिस हो गई..... कौन कटवा रहा था पैकेज.... रनडाउन प्रोड्यूसर कहता है... सर पता नहीं.... बच गए... बने रहो मूर्ख....

बहन जी (अपनी यूपी वाली) के गले में किसी ने नोटों की माला डाल दी... ऐसी वैसी नहीं... 1000-1000 के नोटों की... सबने अपनी औकात के हिसाब से कीमत लगाई.... किसी ने दस हज़ार तो किसी ने दस करोड़ की बताई... जब अदालत से लेकर एजेंसियों तक सब पूछेंगे कि किसने पहनाई माला... तो बहन जी के साथ उनके चमचे कहेंगे... हमें पता ही नहीं.... सही है बने रहो मूर्ख....

अफगानिस्तान.... ईराक.... तबाह हो गए... जहां तहां देखो बम या तो गिर के फटते हैं... या फट के गिरते हैं.... कभी-कभी उसमें आतंकी भी मर जाते हैं... और ज़्यादातर बच्चे और महिलाएं.... और जब अंकल सैंम से पूछा जाता है कि क्यों भई आपकी फौजें ये क्या कर रही हैं... तो वो अंग्रेज़ी में बुदबुदा देते हैं.... ''हमें नहीं पता....'' लगे रहो.... बने रहो मूर्ख... शाबास....

पिताजी खोपड़ी पर हाथ धरे चीख रहे थे.... कलपते हुए हमसे बोले... इस बार तो तीन ट्यूशन लगवाई थी... फेल कैसे हो गए... हमने धीरे से कहा... पता नहीं कैसे.... बच गए.... बने रहो मूर्ख....

गाड़ी पार्क कर रहे थे... पीछे खड़ी गाड़ी को ठोंक दिया.... वो उतर कर आया... बोला ये कैसे हुआ.... हमने भी कह दिया... भाई साहब... हमें पता नहीं चला कि पीछे आप थे.... लो बन गई बात... बने रहो मूर्ख....

दरअसल मूर्खता में ही असली आनंद है... दुनिया भर की तमाम मुश्किलों से निजात का सबसे आसान तरीका है.... मूर्ख बन जाओ.... हर बात पर एक ही जवाब दो...''हमें नहीं पता...'' आपको बताऊं कि दुनिया में इससे ज़्यादा मूर्खतापूर्ण कोई जवाब नहीं हो सकता है.... पर ज़्यादातर मौकों पर ये सबसे समझदारी भरा जवाब साबित होता है.... और आपको आने वाली मुसीबतों से साफ बचा ले जाता है....

और अब कि जब कोई अच्छा ब्लॉगर ब्लॉगिंग छोड़े.... और आप पर सवाल उठें.... आपकी की गई बेनामी टिप्पणियों को लेकर लोग आप पर ही शक करें.... असभ्य भाषा का प्रयोग

करने पर आपसे लोग शिकायत करें... कि “क्यों हे ब्लॉगर....तूने ऐसा क्यों किया....”……. तो आप चुपचाप मूर्ख बन जाइएगा और सर्वबाधाहारी सुनहरा मंत्र दोहरा दीजिएगा....''मुझे नहीं पता....''

मयंक सक्सेना