दुनिया में शायद भारत ही अकेला ऐसा देश है जहां एक तरफ एक्सप्रेस वे है तो दूसरी तरफ धूलभरी गड्ुमते हुए चलना पड़ता है। रात में तो ये वाहन साक्षात काल ही बन जाते हैं। ज्यादे तर दुर्घटनाएं इन्हीं के कारण होती हैं। सड़क निर्माण का वही पुराना मिजाज जल्दबाजी और भ्रष्टाचार जिनसे सड़क बनायी तो जाती है लेकिन उनके मानक का ध्यान नहीं रखा जाता है नतिजन सड़को को गढ्ों में परिवर्तित होने में समय नहीं लगता है। आमतौर पर यहां सड़कों का निर्माण मोटर वाहनों को ध्यान में रख कर किया जाता है जिनमें पैदल, साईकिल, बैलगाड़ी, रिक्शा से चलने वाले लोगों को नजर अंदाज कर दिया जाता है। नतिजन उन्हें भी मोटर वाहनों के बीच से हो कर गुजरना पड़ता है। हाईवे तो छोड़िए एक्सप्रेस वे तक के निर्माण में इस बात का घ्यान नहीं दिया जाता है। जिस कारण ग्रामीण लोग को मजबूरन अपने साघन से मुख्य मार्ग पर जाना पड़ता है जिनसे यातायात बाधित होने व दुर्घटना को बढ़ावा मिलता है। उदारीकरण और भूमंडलीकरण के दौर में सड़को के निर्माण में तेजी जरूर आई है लेकिन सड़कों के निर्माण में परिकल्पना और डिजाईन में देशी परिस्थितियों को नजरअंदाज कर दिया गया है। जिससे ये सड़के सुविधा के साथ साथ मुसीबत का सबब बन गई हैं। दूर के इलाकों के अलावा शहरों के निकट भी यही स्थिति दिखाई पड़ती है। जिसका नतिजा यह होता है कि सड़क पार करते समय अक्सर लोग सड़क दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। सड़को की रूप रेखा से यातायात की समस्या का प्रमुख कारण नहीं है बल्कि और भी कारक हैं ऐसे सुस्त वाहन जिनमें इंडीकेटर जैसे सुरक्षा उपकरणों का भी पूरी तरह अभाव होता है। यातायात समस्या व आये दिन बढ़ रही सड़क दुर्घटना को कम करने के लिए निम्न बिंदुओं पर विचार कर उसे दूर करने करवाने की कोशिश की जाए तो यातायात की समस्या से मुक्ति पाया जा सकता है।
ऽ एक ही सार्वजनिक वाहन को मान्यता दे कर सभी छोटे व जुगाड़ु सार्वजनिक वाहनों पर रोक लगा दी जाए।
ऽ अतिक्रमणकारियों को होशियार करने के बजाय सीधे उनके उपर कार्रवाई की जाए ।
ऽ अवैध पार्किंग अतिक्रमण की समस्या को बढ़ाती है इस पर नकेल कसी जाए ।
ऽ पुलिस अपनी ड्यूटी संजीदगी से निभाए और जनता द्वारा यातायात नियमों का पालन करें
ऽ सड़कों के चौड़ीकरण करने व टेंपो, तांगा, सगड़ी के चलने पर रोक लगाया जाय ।
यातायात को सुधारने के लिए उपरोक्त बिंदुओं में से किसी पर भी अमल नहीं किया जाता है। चौराहों पर ट्रेफिक पुलिस की भूमिका अहम होती है। जो सिर्फ अपना ध्यान चालान और वसूली करने में लगाते हैं। यतायात की बढ़ती समस्या का जिम्मेदार सबसे ज्यादे बेलगाम बढ़ते वाहन टेंपो और ट्रेफिक पुलिस की वसूली है। टेंपो की अराजक्ता शबाब पर हैं पुलिस बड़े वाहनों से रूपए लेकर उनको चलने की इजाजत दे देती है। वाहन पार्किंग का ठेका उठा दिया जाता है । चौराहे पर ट्रेफिक पुलिस सिर्फ तमाशाबीन बनी रहती है। अगर उनसे कोई किसी तरह की समस्या को सुलझाने के लिए कहता है तो वे उनकों ही अपनी ड्यूटी करने की दुहाई देने लगते हैं।
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